मोका moka
एक बार एक कलाकार ने अपने चित्रों की प्रदर्शनी लगाई।उसे देखने के लिए नगर से सैकड़ो धनी -मानी व्यक्ति पहुंचे।एक लड़की भी उस प्रदर्शनी को देखने आई।उस ने देखा सभी चित्रों के अंत में एक ऐसे मनुष्य का चित्र भी टंगा हैं, जिसके मुंह को बालो से ढंक दिया गया हैं और जिसके पैरो पर पंख लगे थे।चित्र के नीचे बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था ‘अवसर ‘.
चित्र कुछ भद्दा सा था इसलिए लोग उसपे उपेक्षित सी दृष्टि डालते और आगे बढ़ जाते।लड़की का ध्यान शुरू से ही इस चित्र पर था।जब वो उसके पास पहुंची तो चुपचाप बेठे कलाकार से पुछ ही लिया, श्रीमान जी यह चित्र किसका हैं? आपने इसका मुंह क्यों ढक के रखा हैं तथा उसके पैरो का क्या रहस्य हैं? कलाकार ने दिया , ‘बेटी यह ‘अवसर’ का चित्र हैं।चूँकि साधारण व्यक्ति इसे पहचान नहीं पाते।अतः मैंने इसका मुंह ढंक रखा हैं , ताकि इसे देखकर जिज्ञासा तो उठे।पैरो में पंख इसलिए की यह अवसर जो आज चला गया,कल फिर आएगा नहीं।इसलिए इसे उड़ने से पहले ही थाम लो।इसका सदुपयोग कर लो।’
लड़की ने उसकी बात पर गौर किया और जीवन निर्माण में लग गयी।
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