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Showing posts from July, 2014

आयुर्वेदिक दोहे

1.जहाँ कहीं भी आपको, काँटा कोइ लगजाय। दूध हल्दी  पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                               2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह मेंडाल। मुँह में छाले हों अगर,दूर होंय तत्काल।।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                       3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो

इंग्लिश आपकी मुठीमे

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इंग्लिश लैंग्वेज पर कमांड न सिर्फ तरक्की की राह आसान कर सकती है, बल्कि आपका कॉन्फिडेंस भी काफी बढ़ा देती है। अपनी इंग्लिश कैसे बेहतर बनाएं, एक्सपर्ट्स से बात करके बता रही हैं प्रियंका सिंह: जानें इंग्लिश का साइंस कोई भी लैंग्वेज सुनने से शुरू होती है। बच्चा सबसे पहले अपने घर और आसपास बोली जाने वाली लैंग्वेज सुनता है, फिर उसे दोहराना शुरू करता है। हमारे देश में इंग्लिश के साथ उलटा होता है। हमारे यहां ज्यादातर बच्चे पहले इसे पढ़ना शुरू करते हैं और फिर बोलना-सुनना। बस यही असली दिक्कत है। घरों में इंग्लिश ज्यादा न बोले जाने से बच्चे ज्यादा सुन नहीं पाते। जिससे बोलने में भी दिक्कत आती है। इंग्लिश बोलने के लिए स्कूल जाना जरूरी नहीं। जो लोग स्कूल नहीं गए, वे भी इसे बोल सकते हैं क्योंकि सारा खेल सुनने और बोलने का है। इंग्लिश बोलने के लिए सबसे पहले सुनने की आदत डालें। हो सकता है शुरुआत में एक-दो दिन समझ में न आए, लेकिन लगातार सुनने से समझ में आने लगेगी। हमारे यहां जो लोग ज्यादा इंग्लिश नहीं बोलते, वे पहले हिंदी में सोचते हैं, फिर उसे इंग्लिश में ट्रांसलेट करते हैं। ऐसा

ताकि छूट न जाए डेडलाइन

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काम हो जाने से ज्यादा जरूरी है उसका समय पर होना। खुद को तो डेडलाइन्स का पालन करने के लिए आप तैयार कर सकते हैं लेकिन जब बात आती है अपनी टीम से डेडलाइन का पालन करवाने की, तो कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि यह मुश्किल भी नहीं है। एक एंटरप्रेन्योर को काम करवाना है और उससे भी ज्यादा जरूरी है कि उसे यह काम समय पर करवाना है। डेडलाइन का पालन सुनिश्चित करने के लिए उसे खुद तो मुस्तैदी से काम करना ही होता है साथ ही अपनी टीम को भी डेडलाइन का पालन करवाने के लिए तैयार रखना होता है। अपने एंप्लॉइज को डेडलाइन के लिए तैयार करने के कुछ स्मार्ट प्रयास आप कर सकते हैं। इससे उन्हें ज्यादा सख्ती भी महसूस नहीं होगी और आप एक अदृश्य सा दबाव भी उनपर बनाए रखेंगे। 1 सीधे पूछें लक्ष्य डेडलाइन का महत्व उसे ही पता होता है, जिसे अपना लक्ष्य स्पष्ट रूप से पता होता है। अपने एंप्लॉइज को डेडलाइन के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए उनसे उनके लक्ष्य पूछें। इस दौरान यदि उनकी बातों में स्पष्टता है तो इसका अर्थ है कि उन्हें उनकी जिम्मेदारियां पूरी तरह से पता हैं। इस दौरान उलझाव देखने पर आप उ