भगवान गणेश
एक बार भगवान गणेश बालक बन गए। उसके एक हाथ में चम्मच भर दूध था और दूसरी हथेली में एक चावल। घर-घर जाता और कहता ‘मेरे लिए खीर बना दो’। चम्मच भर दूध और एक चावल देख कर घर की औरतों की हंसी नही रुकती। वे कहती इतने में क्या खीर बनेगी? बालक ज्यादा हठ करता तो कोईफुसला कर टाल देती तो कोई क्रोधित होकर उसे घर से निकाल देती। सुबहसे शाम होगई,बालक के लिए खीर बनाने को कोई तैयार नहीहुआ। सांझ पड़े बालक बने गणेश एक कुटिया मे पहुंचे, जहां एक वृद्ध महिला रहती थी। बालक ने वृद्धा से भी यही विनती करते हुए कहा, ‘मां मेरे लिए खीर बना दो, महल-भवन घूम आया, मेरे पास चावल भी है और दूध भी, पता नही खीर बनाने में कितनी मेहनत लगती है कि सामान देने के बाद भी कोई नहीं बनाता।’ वृद्ध महिला ने बालक को प्यार से पुचकारते हुए कहा,‘अरे मेरे लाडले! ला मैं बना देती हूं तेरे लिए खीर।’ वृद्द महिलाने अपनी बहू से कहा ‘छोटी कड़ाही लाना, मैं इस बालक के लिए खीर बना दूं।’ बालक ने अब एकनई अनूठी जिद बांध ली कि‘घर में जो सबसे बडी कड़ाही हो, खीर उसी में बनाओ। वृद्धा ने यह जिद भी मानी और सबसे बडे कड़ाही मे खीर बनाने की त