सफलता की सच्ची कहानी
अचलपुर गाँव में दो तालाब बने हुए है, जिनमे से एक तालाब छोटा तथा एक तालाब बड़ा हे ,
छोटा तालाब है वो दो हेक्टेयर में बना हुआ हेतथा बड़ा तालाब हे वो ५ हेक्टेयरमें बना हुआ
हे. इस छोटे तालाब का पानी लोग खरीब की फसले पकाने के लिए इस तालाब के पानी का
उपयोग करते हे लेकिन इस तालाब का पानी कम होने से फसले अद्पकी होती हे
इसके बाद जो बड़ा तालाब हे उसमे भी पानी की आवक कम हे तथा पहले ये तालाब भी छोटा
था फिर पंचायत की तरफ से इस तालाब में काम करवायागया इस के आलावा जब इस तालाब
का पानी खरीब की फसल के बाद खत्म हो जाता है लोगो के खेत भी खाली हो जाते है उसके बाद लोग भी इस तालाब
में से मिटी लेजाकर के अपने खेतो में डालते हे किराये के केट्रेक्टर से तथा कुछ अपने ट्रेक्टर से डालते
है ,आज दिनाक 31 /08 /2013, पाँच साल पहेले जब इन तालाब में पानी खत्म हो जाता था ,तोलोगो
को पशुओ के पिने के पानी की सम्सयाये बहुत ज्यादा थी,गर्मी के समय में हर घर से एक व्यक्ति को घर
पर रहना पड़ता था , नही तो पशु प्यास को तरसते , फिर तालाब की मिटी लोग अपने खेतोमें डालने लगे
जिसे तालाब भी गहरा होतागया, लोग पशु ओ को लेकर के दूर -दूर के कुए पर जाकर के पशुओ को
पानी पिलाते थे ,
फिर 2009 में सरपंच के चुनावहुए उसमे पुरे अचलपुर गाव वालो ने मिलकर गाँव के ही हुनकी बाई को
सरपंच बनाया ,उसके बाद अचलपुर गाँव में तीन पानी की मोटरे लगवाई गयीऔर अब अचलपुर में पानी
की समस्याए ख़त्म हो गयीऔर अब अचलपुर गाव में 100 हेक्टेयर में इस तालाब का पानी से फसल पकाते
है ,तथा अब पानी की समस्याए नही रही .और इस तालाब में 60 -70 के लगभग पानी के पम्प से पानी छोडा
जाता है अब सभी लोग मिलकर तालाब का पानी छोड़ देते है , लेकिन पहेले पानी के लिए भी आपस में जगाड़ते
थे , लेकिन अब वो सम्सयाये भी ख़त्म हो गयी
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है ,आज दिनाक 31 /08 /2013, पाँच साल पहेले जब इन तालाब में पानी खत्म हो जाता था ,तोलोगो
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जिसे तालाब भी गहरा होतागया, लोग पशु ओ को लेकर के दूर -दूर के कुए पर जाकर के पशुओ को
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