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Showing posts from 2014

जब बने उद्दमी तो ध्यान रखे ये बाते

जब बनना हो उद्यमी आज के युवाओं की एक बड़ी तादाद जॉब के बजाय अपना कारोबार करना पसंद करती है। अपने कारोबार का ज्यादा चैलेंजिंग होना, काम करने की स्वतंत्रता का होना, खुद के साथ-साथ दूसरों के लिए रोजगार उपलब्ध कराना, किसी भी सीमा तक उड़ान भरने का अवसर होना, अधिक आमदनी होना आदि कई ऐसे कारण हैं, जो युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करते हैं। स्मॉल एंटरप्राइजेज में युवाओं की दिलचस्पी इसलिए भी नजर आती है, क्योंकि ऐसे कारोबार के लिए बजट का इंतजाम करना तुलनात्मक रूप से आसान होता है। इसके बावजूद यह भी सच है कि एंटरप्रेन्योरशिप में सफलता उन्हें ही मिलती है, जिनकी प्लानिंग अच्छी होती है और जो बाधाओं का सामना करने का हौसला रखते हैं। आपको भी सफल उद्यमी बनना हो, तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है : कोई भी कारोबार शुरू करने से पहले अपनी क्षमता और रुचि का ध्यान रखें। किसी दूसरे की सफलता को देखकर शुरू किए गए काम में जरूरी नहीं कि आपको भी सफलता मिल ही जाए। जब आप अपनी क्षमता, अपनी नॉलेज का आकलन कर लेंगे, तो उसके अनुरूप कोई बिजनेस आइडिया डेवलप करें। यही आइडिया आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाएगा। आइडिया

कैसे बने सोशल एंटरप्रिन्योर्स

सफल एंटरप्रेन्योर बनने के लिए खूब सारे पैसों की नहीं, बल्कि एक इनोवेटिव आइडियाज और कुछ कर दिखाने के जज्बे की जरूरत होती है। यदि आप यह सोच रहे हैं कि एंटरप्रेन्योर बनने के लिए बड़े पैमाने पर पुजी की जरूरत होती है, तो जरा इन्हें देखिए... डेल कम्प्यूटर के संस्थापक माइकल डेल ने जब अपने बिजनेस की शुरुआत की थी, तो उसके पास मात्र एक हजार डॉलर था, वह भी उधार का। बिल गेट्स ने जब अपने बिजनेस की शुरुआत थी, उनके पास महज पांच सौ डॉलर थे। इतनी कम पूंजी से बिजनेस की शुरुआत करने के बाद भी ये लोग आज जिस मुकाम पर पहुंच चुके हैं, उससे पूरी दुनिया भलीभांति परिचित है।  दरअसल, बदलते वक्त के साथ-साथ जॉब के प्रति लोगों की सोच में भी तब्दीली आने लगी हैं। उद्यमिता आगे बढऩे का एक बेहतरीन जरिया माना जा रहा है। शायद यही वजह है कि आईआईएम जैसे बिजनेस स्कूलों से निकलने वाले स्टूडेंट्स भी अब अच्छी कंपनियों केप्लेसमेंट को छोड़कर एंटरप्रेन्योरशिप की राह अपना रहे हैं।  आइए जानते हैं कैसे बने सफल उद्यमी? हमेशा खुद का इंटरप्राइज शुरू करना एक बेहतर ऑप्शन होता है, लेकिन इसके लिए बहुत चीजों की जरूरत

काबिलियत

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  जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब था . तालाब के पास एक बागीचा था , जिसमे अनेक प्रकार के पेड़ पौधे लगे थे . दूर- दूर से लोग वहाँ आते और बागीचे की तारीफ करते . गुलाब के पेड़ पे लगा पत्ता हर रोज लोगों को आते-जाते और फूलों की तारीफ करते देखता, उसे लगता की हो सकता है एक दिन कोई उसकी भी तारीफ करे. पर जब काफी दिन बीत जाने के बाद भी किसी ने उसकी तारीफ नहीं की तो वो काफी हीन महसूस करने लगा . उसके अन्दर तरह-तरह के विचार आने लगे—” सभी लोग गुलाब और अन्य फूलों की तारीफ करते नहीं थकते पर मुझे कोई देखता तक नहीं , शायद मेरा जीवन किसी काम का नहीं, कहाँ ये खूबसूरत फूल और कहाँ मैं,” और ऐसे विचार सोच कर वो पत्ता काफी उदास रहने लगा.  दिन यूँही बीत रहे थे कि एक दिन जंगल में बड़ी जोर-जोर से हवा चलने लगी और देखते-देखते उसने आंधी का रूप ले लिया. बागीचे के पेड़-पौधे तहस-नहस होने लगे , देखते-देखते सभी फूल ज़मीन पर गिर कर निढाल हो गए , पत्ता भी अपनी शाखा से अलग हो गया और उड़ते-उड़ते तालाब में जा गिरा. पत्ते ने देखा कि उससे कुछ ही दूर पर कहीं से एक चींटी हवा के झोंको की वजह से तालाब में आ गिरी थी और अपनी जा

कहानी :- मनुष्य की कीमत

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एक बार लोहे की दुकान में अपने पिता के साथ काम कर रहे एक बालक ने अचानक ही अपने पिता से पुछा – “पिताजी इस दुनिया में मनुष्य की क्या कीमत होती है ?” पिताजी एक छोटे से बच्चे से ऐसा गंभीर सवाल सुन कर हैरान रह गये. फिर वे बोले “बेटे एक मनुष्य की कीमत आंकना बहुत मुश्किल है, वो तो अनमोल है.” बालक – क्या सभी उतना ही कीमती और महत्त्वपूर्ण हैं ? पिताजी – हाँ बेटे.                बालक कुछ समझा नही उसने फिर सवाल किया – तो फिर इस दुनिया मे कोई गरीब तो कोई अमीर क्यो है? किसी की कम रिस्पेक्ट तो कीसी की ज्यादा क्यो होती है? सवाल सुनकर पिताजी कुछ देर तक शांत रहे और फिर बालक से स्टोर रूम में पड़ा एक लोहे का रॉड लाने को कहा. रॉड लाते ही पिताजी ने पुछा – इसकी क्या कीमत होगी? बालक – 200 रूपये. पिताजी – अगर मै इसके बहुत से छोटे-छटे कील बना दू तो इसकी क्या कीमत हो जायेगी ? बालक कुछ देर सोच कर बोला – तब तो ये और महंगा बिकेगा लगभग 1000 रूपये का . पिताजी – अगर मै इस लोहे से घड़ी के बहुत सारे स्प्रिंग बना दूँ तो? बालक कुछ देर गणना करता रहा और फिर एकदम से उत्साहित होकर बोला ” तब तो इस

तीन मोटिवेशनल कहानिया

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यह तीन मोटिवेशनल कहानिया है जो मैने दुसरे Blog  पर पढी थी जिन को आपके लिये प्रस्तुत कर रहा हु बदलाव एक लड़का हर sunday सुबह सुबह  तालाब के किनारे jogging करने जाता था. और  हमेशा एक बूढी महिला को देखता था. जो किनारे पर बनी बेंच पर बैठकर तालाब के छोटे छोटे कछुओ को उठाकर उनकी पीठ साफ़ किया करती थी..  एक ऐसे ही sunday को जब वो लड़का  वहाँ से  गुज़रा तो उसी महिला को देखा.. इस बार वो उनके पास गया और पूछा.. “नमस्ते, मैं हमेशाआपको कछुओ की पीठ साफ़ करते हुए देखता हूँ.. आप ऐसा क्यों करती है?” महिला ने  पहले तो उसे देखा, और फिर शांत मुस्कराहट के  साथ कहा- ” मैं हर रविवार को यहाँ आती हूँ.. और शान्ति का सुख लेते हुए.. इन छोटे छोटे  दोस्तों के कवच साफ़ करती हूँ.. .. दरअसल, इनकी पीठ पर जो काई, और दूसरी चीज़े चिपकी रह जाती है.. उनसे इनके कवच की गर्मी पैदा करने की क्षमता कम पड़ जाती है. और तैरने में भी इन्हें तकलीफ देती है.. कुछ सालो में इनके कवच कमजोर भी पड़ जाते है.. इसलिए मैं यहाँ बैठकर इन्हें साफ़ करती हूँ..” लड़का थोडा हैरान था..वो बोला ” ये है तो बहुत ही अच्छी बात है.. और मैं समझ सकता ह

जो डर गया, समझो हार गया

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एक दिन एक किसान का गधा कुएँ में गिर गया ।वह गधा घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि गधा काफी बूढा हो चूका था,अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था;और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ। किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया। सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही गधे कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है ,वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा । और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया। सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे। तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य सेसन्न रह गया। अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह गधा एकआश्चर्यजनक हरकत कर रहा था। वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था। जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एस सीढी ऊपर चढ़ आता । जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह

कहानी:- तीन मछलिया

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एक नदी के किनारे उसी नदी से जुडा एक बडा जलाशय था। जलाशय में पानी गहरा होता हैं, इसलिए उसमें काई तथा मछलियों का प्रिय भोजन जलीय सूक्ष्म पौधे उगते हैं। ऐसे स्थान मछलियों को बहुत रास आते हैं। उस जलाशय में भी नदी से बहुत-सी मछलियां आकर रहती थी। अंडे देने के लिए तो सभी मछलियां उस जलाशय में आती थी। वह जलाशय लम्बी घास व झाडियों द्वारा घिरा होने के कारण आसानी से नजर नहीं आता था। उसी मे तीन मछलियों का झुंड रहता था। उनके स्वभाव भिन्न थे। अन्ना संकट आने के लक्षण मिलते ही संकट टालने का उपाय करने में विश्वास रखती थी। प्रत्यु कहती थी कि संकट आने पर ही उससे बचने का यत्न करो। यद्दी का सोचना था कि संकट को टालने या उससे बचने की बात बेकार हैं करने कराने से कुछ नहीं होता जो किस्मत में लिखा है, वह होकर रहेगा। एक दिन शाम को मछुआरे नदी में मछलियां पकडकर घर जा रहे थे। बहुत कम मछलियां उनके जालों में फंसी थी। अतः उनके चेहरे उदास थे। तभी उन्हें झाडियों के ऊपर मछलीखोर पक्षियों का झुंड जाता दिकाई दिया। सबकी चोंच में मछलियां दबी थी। वे चौंके । एक ने अनुमान लगाया “दोस्तो! लगता हैं झाडियों के पीछे नदी से

कहानी:- कुत्ते ने मारा शेर

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एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता भटक गया। तभी उसने देखा कि एक शेर उसकी ओर आ रहा है। कुत्ते की सांसें सूख गई। सोचा, आज तो काम तमाम मेरा। फिर उसने सामने कुछ सूखी हड्डियां पड़ी देखी। वह आते हुए शेर की तरफ पीठ करके बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा और ज़ोर ज़ोर से बोलने लगा, 'वाह, शेर को खाने का मज़ा ही कुछ और है। एक और मिल जाए तो पूरी दावत हो जाएगी' और उसने ज़ोर से डकार मारा। इस बार शेर सकते में आ गया। उसने सोचा, 'यह कुत्ता तो शेर का शिकार करता है। जान बचा कर भागो' ...और शेर वहां से चंपत हो गया। पेड़ पर बैठा एक बंदर यह सब तमाशा देख रहा था। उसने सोचा यह मौका अच्छा है, शेर को सारी कहानी बता देता हूं। इसी बहाने शेर से दोस्ती भी हो जाएगी और उससे ज़िंदगी भर के लिए जान का ख़तरा भी दूर हो जाएगा। वह फटाफट शेर के पीछे भागा। कुत्ते ने बंदर को जाते हुए देख लिया और समझ गया कि कोई लोचा है। उधर बंदर ने शेर को सब बता दिया कि कैसे कुत्ते ने उसे बेवकूफ़ बनाया है। शेर ज़ोर से दाहड़ा, 'चल मेरे साथ, अभी उसकी लीला ख़त्म करता हूं।' बंदर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कु

कैरियर बनाने के दस आसान तरिके

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वैसे तो  करियर  निर्माण की कई राहें हैं, लेकिन मनचाहे क्षेत्र में  करियर निर्माण  की राह तलाश करना इतना आसान नहीं है। आज के बदलते परिवेश में अच्छा करियर हासिल करने के लिए कई क्षेत्रों में पारंगत होना पड़ता है और अपनी योग्यताओं को लगातार विकसित करना होता है। आज मेहनत या पसीना बहाने वालों को ही बेहतर काम नहीं मिलता। करियर की दौड़ में कछुआ चाल कामयाबी की गारंटी हरगिज़ नहीं हो सकती है। आज तेज-तर्रार खरगोश ही सफलता का पर्याय माना जाता है। करियर बनाने के इन दस टिप्स से आप सफलता हासिल कर सकते हैं। खुद में एक्सिलेंस लाए मौजूदा परिस्थिति में किताबी कीड़ा बनकर या डिग्रियों का ढेर लगाकर सफलता की कामना नहीं की जा सकती है। अपने अंदर झांककर अपनी प्रतिभा को टटोलें कि किन क्षेत्रों में आप अपनी दक्षता को विकसित कर बाजी मार सकते हैं। जो क्षेत्र आपको सर्वाधिक उपयुक्त लगे, उसमें विशेषज्ञों की सलाह लेकर अपना कौशल बढ़ाएं। आत्मविश्वास विकसित करें -   जीवन के कुरुक्षेत्र में आधी लड़ाई तो आत्मविश्वास द्वारा ही लड़ी जाती है। यदि योग्यता के साथ आत्मविश्वास विकसित किया जाए तो करियर के कुरुक्

करे बॉस के भी बॉस बनने कि तैयारी

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बढ़ते वैश्‍विक बाजार ने युवाओं के लिए   रोजगार   के कई अवसर पैदा किए हैं। आज नामी कंपनियों के वरिष्‍ठ अधिकारी पहले से अधिक युवा हैं। उदाहरण के लिए आज से कुछ 15-20 साल पहले प्रसिद्ध कंपनियों के अधिकांश सीईओ 50 वर्ष से अधिक आयु वाले होते थे। आज परिवेश बदल रहा है, कंपनियों युवाओं को मौका दे रही हैं और आज बड़ी कंपनियों के सीईओ 35-40 वर्ष के युवा बन रहे हैं । हाल ही में भारतीय मूल के 42 वर्षीय सुंदर पिचाई को गूगल के सह-संस्‍थापक लेरी पेज द्वारा पदोन्‍नत किया गया है। सुंदर अब गूगल के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट हैं। वे एंड्राइड, क्रोम और एप्‍स के हेड हैं। इस तरह से युवा सीईओ को मौका देने से कंपनियों को युवा बाजार में बेहतरीन फायदा मिल रहा है, क्‍योंकि वे युवा उपभोक्ताओं की मांगों को ज्‍यादा बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। ये युवा आज अपने से उम्र और अनुभव में अधिक लोगों के सीनियर के तौर पर काम कर रहे हैं।   बहरहाल, इस तरह की बातें सुनकर शायद आपके मन में भी उत्‍सुकता जाग रही होगी कि अपने ऑफिस में ही प्रमोशन के लिए आप क्‍या कर सकते हैं? या आप ऐसा क्‍या करें कि आपको अपने वर्तमान सीनियर्

परीक्षा मे सफलता के मंत्र

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परीक्षा की घड़ी ऐसा समय होती है, जब बच्चे, बड़े हर कोई घबरा जाते है। छोटे बच्चों के लिए परीक्षा किसी हौआ से कम नहीं होती है। एक ओर माता-पिता की उनसे अपेक्षाएँ और दूसरी ओर उनका चंचल मन दोनों उनके लिए दुविधा का कारण बन जाता है। परीक्षा में जहाँ  तनाव  के कारण बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, वहीं दूसरी ओर बच्चों के लिए परीक्षा में अच्छे  अंक   लाना भी मजबूरी होती है। हम आपको बताते हैं कुछ ऐसी छोटी-छोटी बातें, जो परीक्षा में आपके बच्चे को सफल बनाने में सहायक हो सकती है। परीक्षा में सफलता के मंत्र : * सबसे पहले पढ़ाई करने के लिए एक  टाइम टेबल   बनाएँ और उसी के अनुसार अपनी पढ़ाई करें। * पढ़ाई करते वक्त एकाग्रता होना बहुत जरूरी होती है। इसके लिए सुबह जल्दी उठकर ध्यान करें, जिससे आपकी एकाग्रता बनी रहे। * हर रोज कोई टेस्ट पेपर बनाकर एक निर्धारित समय सीमा में उसको हल करने का प्रयास करें तथा उसके बाद अपनी उत्तरपुस्तिका को जाँचकर अपना मूल्यांकन स्वयं करें। * लगातार घंटों बैठकर पढ़ाई करने से बेहतर है कुछ समय एकाग्रचित्त होकर पढ़ाई की जाए। * पढ़ाई के बीच-बीच में दो

इंटरव्यू के कुछ टिप्स

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अगर ढेर सारी पढ़ाई करने के बावजूद आप अपने आपको और अर्जित ज्ञान को प्रस्तुत करना नहीं जानते तो, हो सकता है इंटरव्यू की कठिन दौड़ में पिछड़ जाएँ।ऐसे में कुछ साधारण, लेकिन महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर आप जंग जीत सकते हैं। उच्च शिक्षा और कड़ी प्रतियोगिता आधुनिक जीवन शैली के अहम भाग बन चुके हैं। शिक्षा में उत्तम योग्यता के साथ-साथ उसका प्रस्तुतीकरण भी अत्यंत अहम बन गया है।केवल परीक्षा में अच्छे अंक लाकर सर्टिफिकेट हासिल करना ही सफलता का मापदंड नहीं रह गया है, बल्कि इंटरव्यू में उसका व्यावहारिक प्रदर्शन भी अति आवश्यक हो गया है। आमतौर पर लिखित परीक्षा की तैयारी तो किताबों द्वारा करना आसान है, पर इंटरव्यू आपके व्यक्तित्व प्रदर्शन का जरिया है। इसलिए सचेत होकर अपने व्यक्तित्व को सँवारकर ही इस कसौटी पर उतरिए। इंटरव्यू में सफलता का प्रथम आधार आपकी संबंधित विषय की तैयारी है। संबंधित विषय का सारगर्भित और उत्तम ज्ञान ही वह प्रथम कुंजी है, जहाँ से सफलता की राहें खुलती हैं। कई बार अच्छा आत्मविश्वास भी इंटरव्यू लेने वालों को आकर्षित करता है। पर बिना ज्ञान केवल आत्मविश्वास या अ

ऐसे बढाये सफलता कि तरफ कदम

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जीवन में आगे बढ़ने हेतु व्यक्ति निरंतर प्रयासरत रहता है। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। इसे प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को निरंतर मेहनत करनी ही होती है। किसी मुकाम पर पहुंचने के लिए व्यक्ति को अपनी मंजिल का भी पता होना चाहिए। इसके बगैर किया गया प्रयास व्यक्ति को असफलता की ओर ही ले जाता है। जीवन में सफल होने के कुछ टिप्स:- एकाग्रता बढ़ाएं :  सफल होने के लिए एकाग्रता का होना जरूरी है। एकाग्रता यानी ‍‍किसी भी एक ही विषय-विशेष पर पूर्ण ध्यान दिया जाना। किसी ‍व्यक्ति को तब तक सफलता नहीं मिल सकती, जब‍ तक कि वह एकाग्र न हो। बिना रुचि के एकाग्र होना काफी मुश्किल है। समय का महत्व समझें :  सफलता प्राप्ति में समय का काफी महत्व है। जिसने समय के महत्व को जान लिया उसने सब कुछ पा लिया। अत: किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु समय-प्रबंधन (Time management)जरूर करें। किसी विद्वान ने ठीक ही कहा है कि 'मैंने समय को खोया, समय ने मुझे'। इसी से पता चलता है कि समय कितना कीमती है। यह भी कहा गया है कि समय ही सोना (Gold)है अत: समय को बरबाद न करें। अपनी शक्ति-सामर्थ्य का पता करें :  अपनी शक्ति-स

कैरियर की शुरुआत, उंचे वेतन के साथ

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ऊंचे ओहदे और वेतन के लिए कई साल तक काम करने की बजाय कुछ लोग ऐसी डिग्रियां लेना पसंद करते हैं,  जिससे उन्हें नौकरी शुरू करते ही अच्छा वेतन प्राप्त होने लगे। यहां कुछ ऐसी नौकरियों के बारे में बता रहे हैं,  जिनमें शुरुआत से ही बहुत अच्छा वेतन मिलता है और कुछ ऐसे क्षेत्रों की जानकारी दे रहे हैं,  जो वेतन के लिहाज से सबसे अच्छे माने जाते हैं। उच्च आयवर्ग वाली नौकरियां इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ये इलेक्ट्रिक उत्पादों को डिजाइन करने के साथ-साथ उनका परीक्षण,  मरम्मत और परिवर्धन करते हैं। पेट्रोलियम इंजीनियर ये जमीन के अंदर से प्राकृतिक गैस और कच्चा तेल निकालते हैं। कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर इनका काम कंप्यूटर हार्डवेयर पर रिसर्च व डिजाइन तैयार करना तथा उन्हें विकसित व अपग्रेड करना है। इनवेस्टमेंट बैंकर परामर्श के साथ व्यवसायों व निवेशकों के बीच लिंक बनाने का काम करते हैं। इकोनॉमिस्ट ये वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिए संसाधनों के वितरण का अध्ययन करते हैं। कंप्यूटर प्रोग्रामर प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज से प्रोग्राम को रिपेयर, अपडेट व संशोधित करते हैं। म

पॉच लाजवाब तरिके, बॉस रहेंगे खुश

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तरक्की की राह में आपकी प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन के साथ ही जो चीज सबसे अहम है,  वो है अपने सीनियर यानी बॉस को सदा खुश रखने का हुनर। इसके लिए आपको चमचागिरी नहीं,  बल्कि ऑफिस के सही तौर-तरीके आने चाहिए। यहां दिए जा रहे पांच टिप्स को अपना कर आप वर्कप्लेस पर अपनी पकड़ मजबूत बना सकते हैं। बता रहे हैं  विजय मिश्र सीखिए समय प्रबंधन काम पूरा करने से ज्यादा जरूरी है काम को समय पर या समय से पहले पूरा करना। दिमाग पर जोर लगा कर देखिए,  उस वक्त आपके दिलो-दिमाग पर क्या बीतती है,  जब तय समय के भीतर आपको कोई विशेष प्रोजेक्ट ऑफिस में देना हो और आपकी कैब निर्धारित समय से लेट हो जाए। ऐसे वक्त में आपकी तिलमिलाहट बढ़ जाती है। आप भले ही ड्राइवर को कुछ न कहें,  लेकिन दिन भर उसे समय पर न आने के लिए कोसते तो रहते ही हैं। ठीक ऐसा ही आपके बॉस के साथ भी होता है,  जब आप तय समय पर प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पाते। इसलिए बॉस की नजर में अपनी अच्छी छवि बनाए रखने के लिए समय पर काम पूरा करने की आदत डालें। ये तभी संभव है,  जब आपने ऑफिस के निर्धारित समय से थोड़ा पहले पहुंचने की आदत विकसित कर ली हो। टाइम मैनेजमेंट के