श्री ए पी जे अब्दुल कलाम ने अपने सहायक वैज्ञानिक को उसकी पत्नी की डांट खाने से कैसे बचाया
थुम्बा में रॉकेट प्रक्षेपण स्टेशन पर वैज्ञानिक एक दिन में लगभग12 से 18 घंटे के लिए काम करते थे. इस परियोजना पर काम कर रहे वैज्ञानिकों किसंख्या सत्तर के लगभग थी . सभी वैज्ञानिक वास्तव में काम के दबाव और अपने मालिक की मांग के कारण निराश थे, लेकिन हर कोई उससे वफादार था और नौकरीछोड़ने के बारेमें नहीं सोचता था .
एक दिन, एक वैज्ञानिक अपने बॉस के पास आया था और उनसे कहा - सर, मैं अपने बच्चों को वादा किया है कि मैं उन्हें हमारी बस्ती में चल रही प्रदर्शनी दिखाने के लिए ले जाऊँगा . तो मैं 5 30बजे कार्यालय छोड़ना चाहताहूँ .
उनका बॉस ने कहा - ठीक है, तुम्हे आज जल्दी कार्यालय छोड़ने के लिए अनुमति दी जाती है.
वैज्ञानिक ने काम शुरू कर दिया. उसने दोपहर के भोजन के बाद भी अपना काम जारी रखा. हमेशा की तरह वह इस हद तक अपने काम मेंमशगूल था कि जब उसने अपनी घड़ी में देखा कि समय रात्रि 8.30 बज चुके थे . अचानकउसे अपना वह वादा जो उसने अपने बच्चों को किया था याद आया . उसने अपने मालिक केलिए देखा, वहवहाँ नहीं था. उसे सुबह ही बताया था, उसने सब कुछ बंद कर दिया और घर के लिए चल दिया.
अपने भीतर गहराई में, वह अपने बच्चों को निराश करने के लिए दोषी महसूस कर रहा था.
वह घर पहुंच गया. बच्चे वहाँ नहीं थे पत्नी अकेली हॉल में बैठी थी और पत्रिकाओं को पढ़ने में मशगूल थी . स्थिति विस्फोटकथी , उसे लगा कोई भी बात करने पर वह उसपर फट पड़ेगी. उसकी पत्नी ने उससे पूछा -क्या आप के लिए कॉफीलाऊं यामैं सीधे रात्रिभोज की व्यवस्था करू अगर आप भूखे है आपकी पसंद का भोजन बना है.
आदमी ने कहा - अगर तुम भीपियो तो मैं भी कॉफी लूँगा, लेकिन बच्चे कहांहैं ?? पत्नी ने कहा - आपको नहीं पता है आपका प्रबंधक 5 15 बजे आया और प्रदर्शनी के लिए बच्चों को ले गया.
असल में हुआ क्या था
मालिक ने उसे दी गई अनुमति के अनुसार उसे 5,00 बजे उसेगंभीरता से काम करते देखा और सोचा कि यह व्यक्ति काम को नहीं छोड़ सकता है , लेकिन उसने अपने बच्चों से वादा किया है कि वो उन्हें प्रदर्शनी के लिए लें जाएगा . तो वह उन्हें प्रदर्शनी के लिए लेकर गया.
मालिक ने हर बार यही नहीं किया था पर जो एक बार किया उससे उस वैज्ञानिक कि प्रतिबद्धता हमेशा के लिए स्थापित हो गयी
यही कारण है कि थुम्बा में सभी वैज्ञानिकों ने उनके मालिक के तहत काम जारी रखा जबकि तनाव जबरदस्त था.
क्या आप अनुमान लगा सकतेहैं वो मेनेजर कौन था
जी हाँ वो हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री ए पी जे अब्दुल कलाम थे
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अपने भीतर गहराई में, वह अपने बच्चों को निराश करने के लिए दोषी महसूस कर रहा था.
वह घर पहुंच गया. बच्चे वहाँ नहीं थे पत्नी अकेली हॉल में बैठी थी और पत्रिकाओं को पढ़ने में मशगूल थी . स्थिति विस्फोटकथी , उसे लगा कोई भी बात करने पर वह उसपर फट पड़ेगी. उसकी पत्नी ने उससे पूछा -क्या आप के लिए कॉफीलाऊं यामैं सीधे रात्रिभोज की व्यवस्था करू अगर आप भूखे है आपकी पसंद का भोजन बना है.
आदमी ने कहा - अगर तुम भीपियो तो मैं भी कॉफी लूँगा, लेकिन बच्चे कहांहैं ?? पत्नी ने कहा - आपको नहीं पता है आपका प्रबंधक 5 15 बजे आया और प्रदर्शनी के लिए बच्चों को ले गया.
असल में हुआ क्या था
मालिक ने उसे दी गई अनुमति के अनुसार उसे 5,00 बजे उसेगंभीरता से काम करते देखा और सोचा कि यह व्यक्ति काम को नहीं छोड़ सकता है , लेकिन उसने अपने बच्चों से वादा किया है कि वो उन्हें प्रदर्शनी के लिए लें जाएगा . तो वह उन्हें प्रदर्शनी के लिए लेकर गया.
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