दिमाग भी लेता है सांस, जानिए कैसे...
जब हम सांस लेते हैं तो वायु प्रत्यक्षरूप से हमें तीन-चार स्थानों पर महसूस होती है। कंठ, हृदय, फेफड़े और पेट। कान और आंख में गई वायु का कम ही पता चलता है लेकिन मस्तिष्क में गई हुई वायु का हमें पता नहीं चलता। मस्तिष्क में वायु को महसूस करेंगे तो मस्तिष्क में जाग्रति फैलेगी और दिमाग तेज होने लगेगा। कैसे...
हम जब श्वास लेते हैं तो भीतर जा रही हवा या वायु पांच भागों में विभक्त हो जाती है या कहें कि वह शरीर के भीतर 5 जगह स्थिर हो जाती है। ये पंचक निम्न हैं- (1) व्यान, (2) समान, (3)अपान, (4) उदान और (5) प्राण।
उक्त सभी को मिलाकर ही चेतना में जागरण आता है, स्मृतियां सुरक्षित रहती हैं, मन संचालित होता रहता है तथा शरीर का रक्षण व क्षरण होता रहता है। उक्त में से एक भी जगह दिक्कत हैतो सभी जगह उससे प्रभावित होती है और इसी से शरीर, मन तथा चेतना भी रोग और शोक सेघिर जाते हैं। चरबी-मांस, आंत, गुर्दे, मस्तिष्क, श्वास नलिका, स्नायुतंत्र और खून आदि सभी प्राणायाम से शुद्ध और पुष्ट रहते हैं।
(1)व्यान :व्यान का अर्थ जो चरबी तथा मांस का कार्य करती है।
(2)समान :समान नामक संतुलन बनाए रखने वाली वायु का कार्य हड्डी में होता है। हड्डियों से ही संतुलन बनता भी है।
(3)अपान :अपान का अर्थ नीचे जाने वाली वायु। यह शरीर के रस में होती है।
(4)उदान :उदान का अर्थ ऊपर ले जाने वाली वायु। यह हमारे स्नायुतंत्र में होती है।
(5)प्राण :प्राणवायु हमारे शरीर का हालचाल बताती है। यह वायु मूलत: खून में होती है
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(2)समान :समान नामक संतुलन बनाए रखने वाली वायु का कार्य हड्डी में होता है। हड्डियों से ही संतुलन बनता भी है।
(3)अपान :अपान का अर्थ नीचे जाने वाली वायु। यह शरीर के रस में होती है।
(4)उदान :उदान का अर्थ ऊपर ले जाने वाली वायु। यह हमारे स्नायुतंत्र में होती है।
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