सार्थक एवं सफल जीवन के आठ सूत्र
गौतम बुद्ध ने अपनी शिक्षाओं और उपदेशों में सार्थक एवं सफल जीवन का जो मार्ग बताया है, उसके आठ अंग है। इन अंगों कोसार्थक एवं सफल जीवन के आठसूत्र कहना अधिक उचित है-
(1) सम्यक द्र्स्टी ---सम्यक दृष्टि का अर्थ है कि जीवन में अपना दृष्टिकोण ऐसा रखना कि जीनव में सुख और दुख आते-जाते रहते हैं। यदि दुख है तो उसका कारण भी होगा तथा उसे दूर भी किया जा सकता है।
(2)समयक संकल्प :---इसका अर्थ है कि मनुष्य को जीवन में जो करने योग्य है उसे करने का और जो न करने योग्य है उसे नहीं करने का दृढ़ संकल्प लेना चाहिए।
(3सम्यक वचन .:---इसका अर्थ यह है कि मनुष्य को अपनी वाणी का सदैव सदुपयोग ही करना चाहिए। असत्य, निंदा और अनावश्यक बातों से बचना चाहिए।
(4.)सम्यक करमात :---किसी भी प्राणी के प्रति मन, कर्म या वचन से हिंसा न करना। जो दिया नहीं गया है उसे नहीं लेना। दुराचार और भोग विलास दूर रहना।
(5.)सम्यक आजीव :---गलत, अनैतिक या अधार्मिक तरीकों से आजीविका प्राप्त नहीं करना।
(6).सम्यक व्याम :---बुरी और अनैतिक आदतों को छोडऩे का सच्चे मन से प्रयास करना। सदगुणों को ग्रहण करना व बढ़ाना।,, (7.सम्यक स्मरति :---इसका अर्थ है कि यह सत्य सदैव याद रखना कि यह सांसारिक जीवन क्षणिक और नाशवान है।
(8)सम्यक समादी :---ध्यान की वह अवस्था जिसमें मन की अस्थिरता, चंचलता, शांत होतीहै तथा विचारों का अनावश्यक भटकाव रुकता है।
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(5.)सम्यक आजीव :---गलत, अनैतिक या अधार्मिक तरीकों से आजीविका प्राप्त नहीं करना।
(6).सम्यक व्याम :---बुरी और अनैतिक आदतों को छोडऩे का सच्चे मन से प्रयास करना। सदगुणों को ग्रहण करना व बढ़ाना।,, (7.सम्यक स्मरति :---इसका अर्थ है कि यह सत्य सदैव याद रखना कि यह सांसारिक जीवन क्षणिक और नाशवान है।
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