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Showing posts from December, 2014

जब बने उद्दमी तो ध्यान रखे ये बाते

जब बनना हो उद्यमी आज के युवाओं की एक बड़ी तादाद जॉब के बजाय अपना कारोबार करना पसंद करती है। अपने कारोबार का ज्यादा चैलेंजिंग होना, काम करने की स्वतंत्रता का होना, खुद के साथ-साथ दूसरों के लिए रोजगार उपलब्ध कराना, किसी भी सीमा तक उड़ान भरने का अवसर होना, अधिक आमदनी होना आदि कई ऐसे कारण हैं, जो युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करते हैं। स्मॉल एंटरप्राइजेज में युवाओं की दिलचस्पी इसलिए भी नजर आती है, क्योंकि ऐसे कारोबार के लिए बजट का इंतजाम करना तुलनात्मक रूप से आसान होता है। इसके बावजूद यह भी सच है कि एंटरप्रेन्योरशिप में सफलता उन्हें ही मिलती है, जिनकी प्लानिंग अच्छी होती है और जो बाधाओं का सामना करने का हौसला रखते हैं। आपको भी सफल उद्यमी बनना हो, तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है : कोई भी कारोबार शुरू करने से पहले अपनी क्षमता और रुचि का ध्यान रखें। किसी दूसरे की सफलता को देखकर शुरू किए गए काम में जरूरी नहीं कि आपको भी सफलता मिल ही जाए। जब आप अपनी क्षमता, अपनी नॉलेज का आकलन कर लेंगे, तो उसके अनुरूप कोई बिजनेस आइडिया डेवलप करें। यही आइडिया आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाएगा। आइडिया

कैसे बने सोशल एंटरप्रिन्योर्स

सफल एंटरप्रेन्योर बनने के लिए खूब सारे पैसों की नहीं, बल्कि एक इनोवेटिव आइडियाज और कुछ कर दिखाने के जज्बे की जरूरत होती है। यदि आप यह सोच रहे हैं कि एंटरप्रेन्योर बनने के लिए बड़े पैमाने पर पुजी की जरूरत होती है, तो जरा इन्हें देखिए... डेल कम्प्यूटर के संस्थापक माइकल डेल ने जब अपने बिजनेस की शुरुआत की थी, तो उसके पास मात्र एक हजार डॉलर था, वह भी उधार का। बिल गेट्स ने जब अपने बिजनेस की शुरुआत थी, उनके पास महज पांच सौ डॉलर थे। इतनी कम पूंजी से बिजनेस की शुरुआत करने के बाद भी ये लोग आज जिस मुकाम पर पहुंच चुके हैं, उससे पूरी दुनिया भलीभांति परिचित है।  दरअसल, बदलते वक्त के साथ-साथ जॉब के प्रति लोगों की सोच में भी तब्दीली आने लगी हैं। उद्यमिता आगे बढऩे का एक बेहतरीन जरिया माना जा रहा है। शायद यही वजह है कि आईआईएम जैसे बिजनेस स्कूलों से निकलने वाले स्टूडेंट्स भी अब अच्छी कंपनियों केप्लेसमेंट को छोड़कर एंटरप्रेन्योरशिप की राह अपना रहे हैं।  आइए जानते हैं कैसे बने सफल उद्यमी? हमेशा खुद का इंटरप्राइज शुरू करना एक बेहतर ऑप्शन होता है, लेकिन इसके लिए बहुत चीजों की जरूरत

काबिलियत

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  जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब था . तालाब के पास एक बागीचा था , जिसमे अनेक प्रकार के पेड़ पौधे लगे थे . दूर- दूर से लोग वहाँ आते और बागीचे की तारीफ करते . गुलाब के पेड़ पे लगा पत्ता हर रोज लोगों को आते-जाते और फूलों की तारीफ करते देखता, उसे लगता की हो सकता है एक दिन कोई उसकी भी तारीफ करे. पर जब काफी दिन बीत जाने के बाद भी किसी ने उसकी तारीफ नहीं की तो वो काफी हीन महसूस करने लगा . उसके अन्दर तरह-तरह के विचार आने लगे—” सभी लोग गुलाब और अन्य फूलों की तारीफ करते नहीं थकते पर मुझे कोई देखता तक नहीं , शायद मेरा जीवन किसी काम का नहीं, कहाँ ये खूबसूरत फूल और कहाँ मैं,” और ऐसे विचार सोच कर वो पत्ता काफी उदास रहने लगा.  दिन यूँही बीत रहे थे कि एक दिन जंगल में बड़ी जोर-जोर से हवा चलने लगी और देखते-देखते उसने आंधी का रूप ले लिया. बागीचे के पेड़-पौधे तहस-नहस होने लगे , देखते-देखते सभी फूल ज़मीन पर गिर कर निढाल हो गए , पत्ता भी अपनी शाखा से अलग हो गया और उड़ते-उड़ते तालाब में जा गिरा. पत्ते ने देखा कि उससे कुछ ही दूर पर कहीं से एक चींटी हवा के झोंको की वजह से तालाब में आ गिरी थी और अपनी जा

कहानी :- मनुष्य की कीमत

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एक बार लोहे की दुकान में अपने पिता के साथ काम कर रहे एक बालक ने अचानक ही अपने पिता से पुछा – “पिताजी इस दुनिया में मनुष्य की क्या कीमत होती है ?” पिताजी एक छोटे से बच्चे से ऐसा गंभीर सवाल सुन कर हैरान रह गये. फिर वे बोले “बेटे एक मनुष्य की कीमत आंकना बहुत मुश्किल है, वो तो अनमोल है.” बालक – क्या सभी उतना ही कीमती और महत्त्वपूर्ण हैं ? पिताजी – हाँ बेटे.                बालक कुछ समझा नही उसने फिर सवाल किया – तो फिर इस दुनिया मे कोई गरीब तो कोई अमीर क्यो है? किसी की कम रिस्पेक्ट तो कीसी की ज्यादा क्यो होती है? सवाल सुनकर पिताजी कुछ देर तक शांत रहे और फिर बालक से स्टोर रूम में पड़ा एक लोहे का रॉड लाने को कहा. रॉड लाते ही पिताजी ने पुछा – इसकी क्या कीमत होगी? बालक – 200 रूपये. पिताजी – अगर मै इसके बहुत से छोटे-छटे कील बना दू तो इसकी क्या कीमत हो जायेगी ? बालक कुछ देर सोच कर बोला – तब तो ये और महंगा बिकेगा लगभग 1000 रूपये का . पिताजी – अगर मै इस लोहे से घड़ी के बहुत सारे स्प्रिंग बना दूँ तो? बालक कुछ देर गणना करता रहा और फिर एकदम से उत्साहित होकर बोला ” तब तो इस

तीन मोटिवेशनल कहानिया

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यह तीन मोटिवेशनल कहानिया है जो मैने दुसरे Blog  पर पढी थी जिन को आपके लिये प्रस्तुत कर रहा हु बदलाव एक लड़का हर sunday सुबह सुबह  तालाब के किनारे jogging करने जाता था. और  हमेशा एक बूढी महिला को देखता था. जो किनारे पर बनी बेंच पर बैठकर तालाब के छोटे छोटे कछुओ को उठाकर उनकी पीठ साफ़ किया करती थी..  एक ऐसे ही sunday को जब वो लड़का  वहाँ से  गुज़रा तो उसी महिला को देखा.. इस बार वो उनके पास गया और पूछा.. “नमस्ते, मैं हमेशाआपको कछुओ की पीठ साफ़ करते हुए देखता हूँ.. आप ऐसा क्यों करती है?” महिला ने  पहले तो उसे देखा, और फिर शांत मुस्कराहट के  साथ कहा- ” मैं हर रविवार को यहाँ आती हूँ.. और शान्ति का सुख लेते हुए.. इन छोटे छोटे  दोस्तों के कवच साफ़ करती हूँ.. .. दरअसल, इनकी पीठ पर जो काई, और दूसरी चीज़े चिपकी रह जाती है.. उनसे इनके कवच की गर्मी पैदा करने की क्षमता कम पड़ जाती है. और तैरने में भी इन्हें तकलीफ देती है.. कुछ सालो में इनके कवच कमजोर भी पड़ जाते है.. इसलिए मैं यहाँ बैठकर इन्हें साफ़ करती हूँ..” लड़का थोडा हैरान था..वो बोला ” ये है तो बहुत ही अच्छी बात है.. और मैं समझ सकता ह

जो डर गया, समझो हार गया

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एक दिन एक किसान का गधा कुएँ में गिर गया ।वह गधा घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि गधा काफी बूढा हो चूका था,अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था;और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ। किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया। सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही गधे कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है ,वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा । और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया। सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे। तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य सेसन्न रह गया। अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह गधा एकआश्चर्यजनक हरकत कर रहा था। वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था। जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एस सीढी ऊपर चढ़ आता । जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह

कहानी:- तीन मछलिया

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एक नदी के किनारे उसी नदी से जुडा एक बडा जलाशय था। जलाशय में पानी गहरा होता हैं, इसलिए उसमें काई तथा मछलियों का प्रिय भोजन जलीय सूक्ष्म पौधे उगते हैं। ऐसे स्थान मछलियों को बहुत रास आते हैं। उस जलाशय में भी नदी से बहुत-सी मछलियां आकर रहती थी। अंडे देने के लिए तो सभी मछलियां उस जलाशय में आती थी। वह जलाशय लम्बी घास व झाडियों द्वारा घिरा होने के कारण आसानी से नजर नहीं आता था। उसी मे तीन मछलियों का झुंड रहता था। उनके स्वभाव भिन्न थे। अन्ना संकट आने के लक्षण मिलते ही संकट टालने का उपाय करने में विश्वास रखती थी। प्रत्यु कहती थी कि संकट आने पर ही उससे बचने का यत्न करो। यद्दी का सोचना था कि संकट को टालने या उससे बचने की बात बेकार हैं करने कराने से कुछ नहीं होता जो किस्मत में लिखा है, वह होकर रहेगा। एक दिन शाम को मछुआरे नदी में मछलियां पकडकर घर जा रहे थे। बहुत कम मछलियां उनके जालों में फंसी थी। अतः उनके चेहरे उदास थे। तभी उन्हें झाडियों के ऊपर मछलीखोर पक्षियों का झुंड जाता दिकाई दिया। सबकी चोंच में मछलियां दबी थी। वे चौंके । एक ने अनुमान लगाया “दोस्तो! लगता हैं झाडियों के पीछे नदी से

कहानी:- कुत्ते ने मारा शेर

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एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता भटक गया। तभी उसने देखा कि एक शेर उसकी ओर आ रहा है। कुत्ते की सांसें सूख गई। सोचा, आज तो काम तमाम मेरा। फिर उसने सामने कुछ सूखी हड्डियां पड़ी देखी। वह आते हुए शेर की तरफ पीठ करके बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा और ज़ोर ज़ोर से बोलने लगा, 'वाह, शेर को खाने का मज़ा ही कुछ और है। एक और मिल जाए तो पूरी दावत हो जाएगी' और उसने ज़ोर से डकार मारा। इस बार शेर सकते में आ गया। उसने सोचा, 'यह कुत्ता तो शेर का शिकार करता है। जान बचा कर भागो' ...और शेर वहां से चंपत हो गया। पेड़ पर बैठा एक बंदर यह सब तमाशा देख रहा था। उसने सोचा यह मौका अच्छा है, शेर को सारी कहानी बता देता हूं। इसी बहाने शेर से दोस्ती भी हो जाएगी और उससे ज़िंदगी भर के लिए जान का ख़तरा भी दूर हो जाएगा। वह फटाफट शेर के पीछे भागा। कुत्ते ने बंदर को जाते हुए देख लिया और समझ गया कि कोई लोचा है। उधर बंदर ने शेर को सब बता दिया कि कैसे कुत्ते ने उसे बेवकूफ़ बनाया है। शेर ज़ोर से दाहड़ा, 'चल मेरे साथ, अभी उसकी लीला ख़त्म करता हूं।' बंदर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कु