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Showing posts from October, 2014

सफल होने के लिये ना बोले, ना कहने के फायदे

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हमेशा ‘हां’ कह कर अपनी खुशियों का गला न घोंटें ! कई लोग ‘ना’ कह नहीं पाते. यह बहुत बड़ी समस्या है .इसे कमजोरी कहना ज्यादा उचित होगा. हम लोगों के काम करते जाते हैं,उनकी बाते मानते जाते हैं, हम अपनी खुशियों का गला घोंटतेजाते हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि हमें ‘ना’ कहना नहीं आता. यह शब्द हम इसलिए नहीं बोल पाते, क्योंकि हम बदले में लोगों का प्यार चाहते हैं, उनकी तारीफ चाहते हैं.हम चाहते हैं कि लोग हमें अपनाएं. इन चीजों के लालच में हम खुद के साथ अन्याय करते रहते हैं और सहनशक्ति की सीमा तक वो सारे काम करते हैं,जो हमें तकलीफ पहुंचाते हैं, हमें नाखुश करते हैं.हम यह काम सालों-साल करते हैं. जब लोग हरचीज में हमारी ‘हां’ सुनते हैं, तो बदले में हमे विनम्र, अच्छा, मददगार इनसान आदि नामों का ताज पहनाते हैं. लेकिन यदि हमारी सहनशक्ति 10 साल बाद टूटजाती है और हम 11वें साल में किसी काम को लेकर ‘ना’ कह देते हैं, तो वही लोग हमेंअभिमानी, अहंकारी, बदतमीज कह देते हैं. वे हमारी 10 साल की मेहनत, त्याग, सेवा को तुरंत भूल जाते हैं. तब हमें लगता है कि काश उसी वकत ‘ना’ बोल दिया होता. मेरा कहना यह नहीं है कि आप ह

उबलते पानी मे मेन्डक

मेंढक को अगर पानी से भरे बर्तन में रख दें और पानी गरम करने लगें तो क्या होगा? मेंढक फौरन मर जाएगा? ना... ऐसा बहुत देर के बाद होगा...दरअसल होता ये है कि जैसे जैसे पानी का तापमान बढता है, मेढक उस तापमान के हिसाब से अपने शरीर को Adjust करने लगता है। पानी का तापमान, खौलने लायक पहुंचने तक,वो ऐसा ही करता रहता है।अपनी पूरी उर्जा वो पानी  के तापमान से तालमेल बनाने में खर्च करता रहता है।लेकिन जब पानी खौलने को होता है और वो अपने Boiling Point तक पहुंच जाता है, तब मेढक अपने  शरीर को उसके अनुसार समायोजित नहीं कर पाता है, और अब वो पानी से बाहर आने के लिए, छलांग लगाने की कोशिश करता है। लेकिन अब ये मुमकिन नहीं है।क्योंकि अपनी छलाँग लगाने की क्षमता के बावजूद, मेंढक ने अपनी सारी ऊर्जा वातावरण के साथ खुद को Adjust करने में खर्च कर दी है। अब पानी से बाहर आने के लिए छलांग लगाने की शक्ति, उस में बची ही नहींIवो पानी से बाहर नहीं आ पायेगा, और मारा जायेगाI मेढक क्यों मर जाएगा? कौन मारता है उसको? पानी का तापमान? गरमी? या उसका स्वभाव? मेढक को मार देती है,उसकी असमर्थता सही वक्त पर ही फैसला ले सकने क