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Showing posts from April, 2014

भारत के बारह राष्ट्रपती

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                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                       डा राजेन्द्र प्रसाद : - कार्यकाल २६ जनवरी १९५० से १३ मई १९६२ ३दिसंबर १८८४ को बिहार के सारन जिले के एक संभ्रांत कायस्थ परिवार में जन्मे राजेन्द्र बाबू वकालत छोड़ कर गांधी जी के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम में कूदपड़े। आज़ादी की लड़ाई में उनको कई बार जेल की यात्रा करनी पड़ी। वे भारत के एकमात्र राष्ट्रपति हैं जिन्होंने दो कार्य-क

मछुआरा और अमीर बिज़नेसमैन

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एक बार एक मछुआरा समुद्र किनारे आराम से छांव में बैठकर शांति से बीडी पी रहा था। अचानक एक बिजनैसमैन वहाँ से गुजरा और उसने मछुआरे से पूछा"तुम काम करने के बजाय आराम क्यों फरमा रहे हो?" इस पर गरीब मछुआरे ने कहा"मै आज के लिये पर्याप्त मछलियाँ पकड चुका हूँ ।" यह सुनकर बिज़नेसमैन गुस्से में आकर बोला"यहाँ बैठकर समय बर्बाद करने से बेहतर है कि तुम क्यों ना और मछलियाँ पकडो ।" मछुआरे ने पूछा"और मछलियाँ पकडने से क्या होगा ?" बिज़नेसमैन : उन्हे बेंचकर तुम और ज्यादा पैसे कमा सकते हो और एक बडी बोट भी ले सकते हो । मछुआरा :- उससे क्या होगा ? बिज़नेसमैन :- उससे तुम समुद्र में और दूर तक जाकर और मछलियाँ पकड सकते हो और ज्यादा पैसे कमा सकते हो । मछुआरा :-"उससे क्या होगा?" बिज़नेसमैन :"तुम और अधिक बोट खरीद सकते हो और कर्मचारी रखकर और अधिक पैसे कमा सकते हो ।" मछुआरा :"उससे क्या होगा ?" बिज़नेसमैन :"उससे तुम मेरी तरह अमीर बिज़नेसमैन बन जाओगे ।" मछुआरा :-"उससे क्या होगा?" बिज़नेसमैन :"अरे

लालची बेटा

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 बेटे ने जॉब के खातिर घर ही छोड़ा था , लेकिन जॉब लगने के बाद शादी हुई, और शादी होने के बाद उसने घर के साथ साथ , रिश्ते भी छोड़ दिए थे , जिन रिश्तों ने उसे जन्म दिया था , वो अब उसकी जिन्दगी में कोई मायने नहीं रखते थे | लेकिन आज बेटे ने माँ से फ़ोन पर लगभग आधा घंटा बात करी , बेटे के साथ साथ उसकी बहु ने उसके पोते पोतियों ने भी | माँ की अचरज का कोई ठिकाना ना रहा , पोता बड़े प्यार से कह रहा था , दादी आप यहाँ आओ ना हमारे साथ रहने, .. आज ऐसा महसूस हो रहा था उस बूढी माँ को , जैसे कानों में मिश्री घोल दी हो किसी ने | उसने अपने पति से कहा , अजी सुनते हो चलिए ना कुछ दिन बेटे के घर हो आते है , अभी उसके बच्चों की छुटियाँ भी है , तो उन्हें भी DISTURB नहीं होगा , और वो बुजुर्ग दंपत्ति अगले दिन की ट्रेन पकड़ कर जा पहुंचा बेटे के घर| सभी जने उनकी , आवभगत में लगे हुए थे , माँ को बेटे बहु की इतनी साफगोई, अटपटी सी लग रही थी , और रात होतें होते , सुबह के उजालों के पीछे का अँधेरा साफ़ दिखाई देने लगा , बेटे ने माँ से कहा, माँ गाँव का अपना मकान और दुकान बेच दो , एक करोड़ से ऊपर की संपत्ति है , वो बेच

एक बेटे का पछतावा

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एक धनी व्यक्ति की माँ अक्सर बीमार रहती थी। माँ रोज बेटे-बहू को कहती थी कि बेटा, मुझे डॉक्टर के पास ले चल। बेटा भी रोज पत्नी को कह देता, "माँ को ले जाना, मैं तो फैक्टरी के काम में व्यस्त रहता हूँ। क्या तुम माँ का चेकअप नहीं करा सकती हो?" पत्नी भी लापरवाही से उत्तर दे देती, "पिछले साल गई तो थी, डॉक्टर ने कोई ऑपरेशन का कहा है। जब तकलीफ होगी ले जाना"और वह अपने काम में लग जाती। बेटा भी ब्रीफकेस उठाकर चलता हुआ बोल जाता कि"माँ तुम भी थोड़ी सहनशक्ति रखा करो.." फैक्टरी की पार्किंग में उस व्यक्ति को हमेशा एक निर्धन लड़का मिलता था। वह पार्किंग के पास ही बूट पॉलिश करता रहता। और जब कभी बूट पॉलिश का काम नहीं होता, तब वह वहाँ रखी गाड़ियों को कपड़े से साफ करता। गाड़ी वाले उसे जो भी 2-4 रुपए देते उसे ले लेता। धनी व्यक्ति और अन्य दूसरे लोग भी रोज मिलने से उसे पहचानने लग गए थे। लड़का भी जिस साहब से 5 रुपए मिलते उस साहब को लंबा सलाम ठोकता था। एक दिन की बात है धनी व्यक्ति शाम को मीटिंग लेकर अपने कैबिन में आकर बैठा। उसको एक जरूरी फोन पर जानकारी मिली, जो उसक