पारस पत्थर -- Hindi Short Story,लघु कथा,कहानी
उससे इस प्रश्न का प्राय: उत्तर मिलता, "नहीं!"
आज भी उसने एक व्यक्ति से फिर वही प्रश्न किया तो आशा के विपरीत उत्तर पाकर वह दंगरह गया।
'हाँ, मैंने देखा है। मेरे पास है।"
"आपके पास है?कहाँ है, दिखाइए?"
"तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा?"
"जी, मुझे विश्वास नहीं हो रहा!" उसने जिज्ञासा दिखाई।
उस आदमी ने अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा, "बस यही हाथ हैं पारस पत्थर। मेहनत करो इनसे और कर्मयोगी बनो।"
उस आदमी की बात सुनकर उसे लगा जैसे सचमुच उसे 'पारस पत्थर' मिल गया हो। वह मन ही मन खूब मेहनत करने का संकल्पकरते हुए अपने दोनों हाथों को निहारने लगा।
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