लालची बेटा
बेटे ने जॉब के खातिर घर ही छोड़ा था , लेकिन जॉब लगने के बाद शादी हुई, और शादी होने के बाद उसने घर के साथ साथ , रिश्ते भी छोड़ दिए थे , जिन रिश्तों ने उसे जन्म दिया था , वो अब उसकी जिन्दगी में कोई मायने नहीं रखते थे |
लेकिन आज बेटे ने माँ से फ़ोन पर लगभग आधा घंटा बात करी , बेटे के साथ साथ उसकी बहु ने उसके पोते पोतियों ने भी | माँ की अचरज का कोई ठिकाना ना रहा , पोता बड़े प्यार से कह रहा था , दादी आप यहाँ आओ ना हमारे साथ रहने, .. आज ऐसा महसूस हो रहा था उस बूढी माँ को , जैसे कानों में मिश्री घोल दी हो किसी ने |
उसने अपने पति से कहा , अजी सुनते हो चलिए ना कुछ दिन बेटे के घर हो आते है , अभी उसके बच्चों की छुटियाँ भी है , तो उन्हें भी DISTURB नहीं होगा , और वो बुजुर्ग दंपत्ति अगले दिन की ट्रेन पकड़ कर जा पहुंचा बेटे के घर|
सभी जने उनकी , आवभगत में लगे हुए थे , माँ को बेटे बहु की इतनी साफगोई, अटपटी सी लग रही थी , और रात होतें होते , सुबह के उजालों के पीछे का अँधेरा साफ़ दिखाई देने लगा , बेटे ने माँ से कहा, माँ गाँव का अपना मकान और दुकान बेच दो , एक करोड़ से ऊपर की संपत्ति है , वो बेच कर, आप दोनों मेरे साथ यही रहने आ जाओ, मै आप के रहने का इंतजाम ऊपर किए देते हूँ , वही पर रसोई बना देता हूँ , आप दोनों ऊपर ही रहिये और बचा हुआ जीवन आराम से बिताइए , पिता जी ने सुन कर कहा ....बेटा , मेरे जीते जी ये संपत्ति बिकेगी नहीं , और यदि हमे यहाँ आ कर भी अकेले रहना है , तो गाँव में रहने में क्या बुराई है ? गुस्से से पिताजी ने डांट दिया बेटे को , बेटा माँ की और बड़ी हसरत से देख रहा था , लेकिन माँ के हाथ में कुछ था नहीं
जैसे तैसे रात ढली और सुबह होते ही बेटे ने कहा ....माँ आज हम लोग तीन दिन के लिए बाहर जा रहें है , मेरे ससुराल में कोई काम आ गया है अचानक , तो आप लोग गाँव चले जाइए , यहाँ आप की देखभाल करने वाला, कोई रहेगा नहीं, और वैसे भी आप लोगों को आलीशान बंगले से ज्यादा सुकून गाँव के उस टूटे फूटे से मकान में मिलता है , माँ को अब सुबह की सच्चाई साफ़ नजर आ चुकी थी, उसे पता चल चुका था की इस रिश्ते की जान , सिर्फ उस संपत्ति में निहित है |
माँ ने भारी मन से , अपना सामान उठाया , एक रात में द्रश्य एक दम बदल चुका था , कल जो बहु और पोते पोती दरवाजे तक लेने आये थे , आज वो लोग उस बुजुर्ग दंपत्ति को विदा करने के लिए, अपने कमरों से बाहर भी नहीं निकलें , माँ ने सामान , उठाते हुए कहा बेटा, उस टूटे हुए , मकान की हर ईंट पर हमारा अधिकार है , और देखना , इस आलिशान बंगले का क़र्ज़ भी , उसी से चुकेगा एक दिन अब सिर्फ सन्नाटा था रिश्तों के बीच ||
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माँ ने भारी मन से , अपना सामान उठाया , एक रात में द्रश्य एक दम बदल चुका था , कल जो बहु और पोते पोती दरवाजे तक लेने आये थे , आज वो लोग उस बुजुर्ग दंपत्ति को विदा करने के लिए, अपने कमरों से बाहर भी नहीं निकलें , माँ ने सामान , उठाते हुए कहा बेटा, उस टूटे हुए , मकान की हर ईंट पर हमारा अधिकार है , और देखना , इस आलिशान बंगले का क़र्ज़ भी , उसी से चुकेगा एक दिन अब सिर्फ सन्नाटा था रिश्तों के बीच ||
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