सफलता के पांच मंत्र5 Steps To Success सफलता के पाँच कदम
1- किस्मत की बात भूलजाएं, करें इरादा पक्का--- जीवन में कुछ बातें या घटनाएं संयोगवश हो सकती हैं। लेकिन आप अगर इस इंतजार में रहेंगे कि सब कुछ अपने आप अकस्मात ही आपकोहासिल होगा, तो शायद आप सारी जिंदगी इंतजार ही करते रह जाएंगे, क्योंकिसंयोग हमेशा तो नहीं हो सकता। यहां तक कि भौतिक विज्ञान की क्वांटम थ्योरी भी यही कहती कि अगर आप असंख्य बार तक कोशिश करते रहेंगे, तो एक दिन टहलते हुए दीवार के बीच से भी निकल सकते हैं। आपके बार बार करने से कणों में स्पंदन होतारहेगा, जिसकी वजह से शायद दीवार के बीच से निकल पाना भी संभव हो जाए। लेकिन जब तक आप इस अवस्था को हासिल करेंगे,आपकी खोपड़ी फट चुकी होगी। तो जब तक आप किसी संयोग का इंतजार करते रहेंगे, आप व्यग्र रहेंगे। लेकिन जब आप पक्के इरादे के साथ अपनीक्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल करते हुए अपनी मंजिल की तरफ बढ़ेंगे, तब यह बात मायने नहीं रखती कि क्या हुआ और क्या नहीं हुआ। आपके साथजो भी होगा कम से कम वह आपके वश में होगा। एक सुकून का जीवन होगा।
2- अपनी विफलताओं से निराश न हों---
लक्ष्य के प्रति समर्पित इंसान के लिए विफलता जैसी कोई चीजनहीं होती। अगर एक दिन में आप सौ बार गिरते हैंतो इसका मतलब हुआ कि आपको सौ सबक मिल गए। अगरआप अपने लक्ष्य के प्रतिसमर्पित हो जाएं, तो आपका दिमाग भी उसी तरह सुनियोजित हो जाएगा। जब आपका दिमाग सुनियोजित रहेगा तो आपकी भावनाएं भी उसी के अनुसार रहेंगी, क्योंकि जैसी आपकी सोच होगी, वैसी ही आपकी भावनाएं होंगी। एक बार जब आपकी सोच और आपकीभावनाएं सुनियोजित हो जाएंगी, आपकी ऊर्जा की दिशा भी वही होगी और फिरआपका शरीर भी एक लय में आ जाएगा। जब ये चारों एकही दिशा में बढ़े तो लक्ष्य हासिल करने की आपकी क्षमता गजब की होगी। फिर कई मायनों मेंआप अपने भाग्य के रचयिताहोंगे।
3- स्पष्ट सोच के साथकाम करें---
किसी भी व्यक्ति में आत्मविश्वास से अधिक जरूरी है उसके अंदर स्पष्टता का होना। यदि आप किसी भीड़ को पार कर कहीं पहुंचना चाहते हैं,आपकी दृष्टि सही जगह पर है और आप देख पा रहे हैं कि भीड़ कहां खड़ी है, तो आप बहुत आसानी से बिना किसी से टकराए अपनारास्ता बनाते हुए अपनी मंजिल तक पहुंच जाएंगे। लेकिन आपकी नजर अगर सही जगह पर नहीं है और महज विश्वास है, तो आप हर किसी से टकराते रहेंगे। लोगों को लगता है कि महजउनका आत्मविश्वास ही उनके अंदर की स्पष्टता की कमी को पूरा कर देगा।लेकिन ऐसा कतई नहीं है। मान लीजिए कि आप अपने जीवन के सभी बड़े फैसले इसी तरह सिक्का उछालकर करते हैं कि चित आए तो इधर, पट आए तो उधर और यदिऐसा करने से 50 फीसदी बार भी आपको अपने सवालोंके जवाब मिल जाते हों, तो फिर दुनिया में आपके लिए सिर्फ दो ही तरह के रोजगार बच जाते हैं- मौसम विभाग में भविष्यवाणी करने का या फिर ज्योतिष का। इसके अलावा और कोई व्यवसाय आपके लिए नहीं होगा।
4- हर उस व्यक्ति और चीजों को अपनाएं, जो आपको नापसंद हैं---
अपने जीवन की अलग-अलग परिस्थितियों को संभालने के लिए हमें अलग-अलग किरदार निभाने पड़ते हैं। अगर आप ऐसा बखूबी कर सकें तो आप बिना किसी दिक्कत के अपनी हर जिम्मेदारी आसानी से निभा सकेंगे। लेकिन अधिकतर लोगों का व्यक्तित्व पत्थर की तरह होता है, जो हमेशा उन पर हावी रहता है।
अगर आप ऐसी स्थिति से बचना चाहते हैं, तो आपकोकुछ और कोशिशें करने की जरूरत है। जीवन बेहद आसान हो सकता है। किसी ऐसे व्यक्ति को अपना जोड़दार बना लें, जिसे आप अब तक नापसंद करते रहे हों। उस व्यक्ति के साथ समय बिताएं, बड़े प्यार के साथ और खुश होकर। उन सभी कामों को करने की आदत डालें जो आपको अब तक नापसंद थे। उन लोगों के साथ रहना सीखें जो आपको पसंद नहींहैं और साथ ही साथ जीवन को प्रेम, आनंद और सूझबूझ के साथ जिएं।
5- हिसाब किताब करना छोड़ दें---
महान बनने की कोशिश न करें। ‘मुझे क्या मिलेगा या मेरा क्या होगा’, इसकी चिंता छोड़कर अगर अपने जीवन केलक्ष्य पर ध्यान देंगे और उसका दायरा बढ़ाएंगे,तो आप खुद एक असाधारण व्यक्ति बन जाएंगे। अगर आप गौर करें तो पाएंगे कि हमारे सामने जितने भीमहान व्यक्ति हैं, उनमेंसे किसी ने कभी महान बनने की कोशिश नहीं की होगी, बल्कि उनका नजरिया‘मुझे क्या मिलेगा या मेरा क्या होगा’ से कहींआगे रहा था।
बस, आप भी अपने दिमाग से ‘मेरा क्या होगा’ की चिंता निकाल दें और अपनीक्षमता के हिसाब से बेहतरीन काम करने पर अपना ध्यान केंद्रित करें। आप खुद ही असाधारणव्यक्ति हो जाएंगे, क्योंकि तब आपका मकसद अपने आसपास की दुनिया कोबेहतर बनाना होगा। ऐसे में करने के लिए इतना कुछ होगा कि इस सोच के साथ आपकी क्षमताओं का विकास खुद ब खुद होगा औरआपके व्यक्तित्व में निखार आएगा।
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लक्ष्य के प्रति समर्पित इंसान के लिए विफलता जैसी कोई चीजनहीं होती। अगर एक दिन में आप सौ बार गिरते हैंतो इसका मतलब हुआ कि आपको सौ सबक मिल गए। अगरआप अपने लक्ष्य के प्रतिसमर्पित हो जाएं, तो आपका दिमाग भी उसी तरह सुनियोजित हो जाएगा। जब आपका दिमाग सुनियोजित रहेगा तो आपकी भावनाएं भी उसी के अनुसार रहेंगी, क्योंकि जैसी आपकी सोच होगी, वैसी ही आपकी भावनाएं होंगी। एक बार जब आपकी सोच और आपकीभावनाएं सुनियोजित हो जाएंगी, आपकी ऊर्जा की दिशा भी वही होगी और फिरआपका शरीर भी एक लय में आ जाएगा। जब ये चारों एकही दिशा में बढ़े तो लक्ष्य हासिल करने की आपकी क्षमता गजब की होगी। फिर कई मायनों मेंआप अपने भाग्य के रचयिताहोंगे।
3- स्पष्ट सोच के साथकाम करें---
किसी भी व्यक्ति में आत्मविश्वास से अधिक जरूरी है उसके अंदर स्पष्टता का होना। यदि आप किसी भीड़ को पार कर कहीं पहुंचना चाहते हैं,आपकी दृष्टि सही जगह पर है और आप देख पा रहे हैं कि भीड़ कहां खड़ी है, तो आप बहुत आसानी से बिना किसी से टकराए अपनारास्ता बनाते हुए अपनी मंजिल तक पहुंच जाएंगे। लेकिन आपकी नजर अगर सही जगह पर नहीं है और महज विश्वास है, तो आप हर किसी से टकराते रहेंगे। लोगों को लगता है कि महजउनका आत्मविश्वास ही उनके अंदर की स्पष्टता की कमी को पूरा कर देगा।लेकिन ऐसा कतई नहीं है। मान लीजिए कि आप अपने जीवन के सभी बड़े फैसले इसी तरह सिक्का उछालकर करते हैं कि चित आए तो इधर, पट आए तो उधर और यदिऐसा करने से 50 फीसदी बार भी आपको अपने सवालोंके जवाब मिल जाते हों, तो फिर दुनिया में आपके लिए सिर्फ दो ही तरह के रोजगार बच जाते हैं- मौसम विभाग में भविष्यवाणी करने का या फिर ज्योतिष का। इसके अलावा और कोई व्यवसाय आपके लिए नहीं होगा।
4- हर उस व्यक्ति और चीजों को अपनाएं, जो आपको नापसंद हैं---
अपने जीवन की अलग-अलग परिस्थितियों को संभालने के लिए हमें अलग-अलग किरदार निभाने पड़ते हैं। अगर आप ऐसा बखूबी कर सकें तो आप बिना किसी दिक्कत के अपनी हर जिम्मेदारी आसानी से निभा सकेंगे। लेकिन अधिकतर लोगों का व्यक्तित्व पत्थर की तरह होता है, जो हमेशा उन पर हावी रहता है।
अगर आप ऐसी स्थिति से बचना चाहते हैं, तो आपकोकुछ और कोशिशें करने की जरूरत है। जीवन बेहद आसान हो सकता है। किसी ऐसे व्यक्ति को अपना जोड़दार बना लें, जिसे आप अब तक नापसंद करते रहे हों। उस व्यक्ति के साथ समय बिताएं, बड़े प्यार के साथ और खुश होकर। उन सभी कामों को करने की आदत डालें जो आपको अब तक नापसंद थे। उन लोगों के साथ रहना सीखें जो आपको पसंद नहींहैं और साथ ही साथ जीवन को प्रेम, आनंद और सूझबूझ के साथ जिएं।
5- हिसाब किताब करना छोड़ दें---
महान बनने की कोशिश न करें। ‘मुझे क्या मिलेगा या मेरा क्या होगा’, इसकी चिंता छोड़कर अगर अपने जीवन केलक्ष्य पर ध्यान देंगे और उसका दायरा बढ़ाएंगे,तो आप खुद एक असाधारण व्यक्ति बन जाएंगे। अगर आप गौर करें तो पाएंगे कि हमारे सामने जितने भीमहान व्यक्ति हैं, उनमेंसे किसी ने कभी महान बनने की कोशिश नहीं की होगी, बल्कि उनका नजरिया‘मुझे क्या मिलेगा या मेरा क्या होगा’ से कहींआगे रहा था।
बस, आप भी अपने दिमाग से ‘मेरा क्या होगा’ की चिंता निकाल दें और अपनीक्षमता के हिसाब से बेहतरीन काम करने पर अपना ध्यान केंद्रित करें। आप खुद ही असाधारणव्यक्ति हो जाएंगे, क्योंकि तब आपका मकसद अपने आसपास की दुनिया कोबेहतर बनाना होगा। ऐसे में करने के लिए इतना कुछ होगा कि इस सोच के साथ आपकी क्षमताओं का विकास खुद ब खुद होगा औरआपके व्यक्तित्व में निखार आएगा।
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